14.05.2014
आम इंसान के लिए पैसे की परिभाषा जानना बहुत जरुरी है। एक और जब से पैसे का निर्माण किया गया तब से आम इंसान इसको पाने के लिए जद्दो जहद कर रहा है, पर इस को अपने जरुरत के लिए पा ना सका। एक बड़े ही कठिन खेल में उलझ गया आम इंसान। पैसा आगे होता है और आम इंसान उसके पीछे ...क्या राज है इसका ?
कई हजारो साल पहले कुछ चुनिंदे रईस समूहों (फ़ेडरल रिज़र्व ) ने समाज मे पैसा नामक चलन शुरु किया जिससे वो जनता को गुलामों की तरह इस्तेमाल कर सके। जब इन समूहों ने पैसा शुरु किया तब उन्होंने उसकी छपाई तथा सप्लाई का संपूर्ण नियंत्रन अपने कब्जे मे रखा।
पैसा सब प्रगति के लिए बाधा है।
पैसा पृथ्वी पर सब दुखों का कारण हैं।
पैसा समाज में सकल जुदाई और अलगाव के लिए प्रमुख योगदान कारक है।
पैसा ही ९९% अपराध को बढ़ावा देता है। पैसा ही परिवारों को अलग अलग करता हैं।
पैसा ही उन सात घातक पाप जैसे : अहंकार, ईर्ष्या, लोलुपता, लालच, जलन , वासना और कुरुपता को जनम देता है।
इस का मूल कारण यही है की हम सही तरह से समज नहीं पाये है की पैसा बनता कैसे है, और इसे पाने के लिए हमें क्या करना चाहिए। असल बात ये है की हम पैसे को इतनी एहमियत क्यों देते है? हम सब ने इन पैसो को इतना महान बना दिया है की इसके बगैर हम अब सांस भी नहीं ले सकते।