अगस्त 21, 2016 | केवडिया, गुजरात: गुजरात के हज़ारों सरदार सरोवर विस्थापितों ने आज बाँध स्थल पर जाने वाला रास्ता वाघोडिया गाँव के पुल के पास रोक दिया है।
'वाहन हो या पर्यटक, हम बांध की ओर नहीं जाने देंगे क्योंकि हमारे दुःख की कब्र पर यह महल बांधा जा रहा है, हमारे पुनर्वास के बिना कैसे आगे धकेला बांध और डूबे हम सब रोजगार / रोजीरोटी के बिना उजाड़े गये युवा भी, शासन के रोजगार के आश्वासन का चालन करवा के रहेंगे' - यह है उनका संकल्प।
15 जून 2016 से धरने पर बैठे, हज़ारों आदिवासी विस्थापितों ने रोज 80 से 100 की संख्या में साकली उपवास किया। आज तक उन्हें ठोस जवाब अधिकारियों ने नहीं दिया केवल 18 जून को एक बार चर्चा के बाद अनदेखा कर दिया तो आज हज़ारों विस्थापितों ने रास्ते पर उतरकर बाँध स्थल पर जानलेवा रास्ता रोक दिया......
अभी की खबर है, जब हज़ारों विस्थापित जुट रहे हैं, पुलिसों ने केवडिया कॉलोनी में करीबन 150 आदिवासियों को गिरफ़्तार करके उन्हें पुलिस स्टेशन लेकर गए हैं।
2500-3000 लोगों को पुलिस ने रोककर जो वाघोडिया के पास रास्ते पर बैठे थे तो गाँधीनगर से बात करवायी और कहा कि हम आपके प्रश्नों पर निर्णय ले रहे हैं – प्रक्रिया अब भी चालू है। वे सभी लोग अब रास्ते पर, पुलिसों के घेरे में ही चलकर धरना स्थल की ओर जा रहे हैं।
ज्ञात रहे कि सन 1980 के दौरान पहली बार नर्मदा बांध से विस्थापित मध्य प्रदेश के 19 गाँवों के आदिवासियों को अपना गाँव छोड़कर, गुजरात के जिला नर्मदा के केवाडिया कॉलोनी स्थित पुनर्वास स्थल पर जाने के लिए मजबूर होना पड़ा था | इस विस्थापन से उनकी भाषा-संकृति, पर्यावरण भी प्रभावित हुआ था पर उन्होंने फिर भी अपने हकों के लिए लड़ाई जारी रखी | आज 36 साल बाद गुजरात सरकार ने उन्हें पुनर्वास स्थल से दुबारा यह कहकर विस्थापित करने का निर्णय लिया कि उनको गलत पात्रता के तहत सारे लाभ दिए गए थे | ऐसे 1000 लोगों को गुजरात सरकार ने दुबारा विस्थापित करने की योजना बनायी है | सरकार की इस बेशर्मी से नाराज आदिवासी-किसान गुजरात के नर्मदा जिले के केवाडिया कॉलोनी स्थित पुनर्वास कार्यालय के सामने 15 जुलाई से धरने पर बैठे हैं |